
“पंचायत” वेब सीरीज ने ग्रामीण भारत की सादगी और हास्य के साथ लाखों दिलों को छुआ है। TVF द्वारा बनाया गया एवं Amazon Prime Video पर उपलब्ध इस सीरीज में फुलेरा गाँव के किरदारों ने दर्शकों को हँसाया और रुलाया है। इनमें से एक किरदार, प्रह्लाद चाचा (फैसल मलिक), अपनी गहरी भावनाओं और सादगी से सबके पसंदीदा बन गए हैं। सीजन 2 और 3 में उनकी कहानी तब और मार्मिक हो जाती है, जब हमें पता चलता है कि उनके फौजी बेटे की शहादत हो गई है । इस दृश्य ने सभी को रोने के लिए मजबूर कर दिया था और जब उनके बेटे की अंतिम विदाई हो रही होती है उस समय भी सभी गाँव वाले रो रहे थे । हम सभी खूद रो रहे थे यह दृश्य इतनी मार्मिक थी कि हर कोई रो पड़ा । इस घटना के बाद प्रह्लाद चाचा एक दम शांत हो गए थे किसी से बात चित नहीं । प्रह्लाद चाचा फुलेरा गाँव के उन किरदारों में से हैं, जो अपनी सादगी और गहरी भावनाओं से दर्शकों को बाँध लेते हैं। उनके फौजी बेटे की शहादत के बाद का उनका दर्द, उनके अकेलेपन की शांति और उनके भीतर का संघर्ष हर किसी को छू जाता है।
सीजन 2 में जब प्रह्लाद अपनी भावनाओं को अभिषेक (जितेंद्र कुमार) के सामने व्यक्त करते हैं, तो उनका दर्द दर्शकों के दिल को छू जाता है। प्रह्लाद जी कहते है ‘ समय से पहले कोई नहीं जाएगा , चाहे वो कोई भी हो ‘ यह वाक्य आज भी हमारे कानों मे गूंज रहा है । सीजन 3 में उनकी कहानी और गहरी होती है, जब वे गाँव की पंचायत और सामुदायिक कार्यों में सक्रिय रहते हुए अपने दुख को पीछे छोड़ने की कोशिश करते हैं। प्रह्लाद चाचा की यह यात्रा हमें सिखाती है कि जिंदगी में हार नहीं माननी चाहिए, चाहे कितना भी दुख हो।
कुछ बाद मे सरकार ने उन्हें मुआवजा दिया, जो अभी तक उपयोग नहीं हो पाया। आइए, प्रह्लाद चाचा की कहानी को समझें और जानें कि इस मुआवजे का सही उपयोग कैसे किया जा सकता था।
लेकिन जब हम सीजन 4 की बात करते हैं, तो एक सवाल उठता है:
“अगर प्रह्लाद चाचा कुछ अहम गलतियाँ नहीं करते, तो क्या मुखिया जी चुनाव जीत सकते थे?”
इस सवाल के जवाब में हमें इमोशन के साथ-साथ फाइनैंस की समझ भी झांकने की जरूरत है। क्योंकि राजनीति में भावना और रणनीति दोनों साथ चलती हैं।
प्रह्लाद चाचा को अपने बेटे की शहादत के बाद मिला मुआवजा एक बड़ी राशि है, जो अभी तक उपयोग नहीं हुआ। यह स्थिति कई परिवारों की तरह है, जहाँ मुआवजा या अचानक मिली राशि का सही प्रबंधन नहीं हो पाता है । प्रह्लाद चाचा यह पैसा खुद के लिए खर्च नहीं करना चाहते थे , उन्होंने पैसे चंदन को दिए थे जमीन खरीदने के लिए तथा 6 लाख चंदन के घर पर पड़े हुए थे ।
वह पैसा न घर में लगा, न समाज में।
यदि इस राशि को चंदन को देने के बजाय गावं के हित मे खर्च कर सकते थे।
गाँव में जिन मूलभूत सुविधाओं की कमी थी उन पर खर्च कर सकते थे तथा ये 6 गलतियाँ नहीं करते तो चुनाव का नतीजा कुछ और हो सकता था । यदि चाचा जी पैसे को इन 6 कार्य को करने मे लगते तो जीत सकते थे ।
- गावं के लिए फसल भंडार गृह बनवाने मे सहायता
- जन-सुविधा केंद्र
- स्कूल के टॉइलेट की नियमित सफाई के लिए फंड
- गावं के लिए आपातकालीन फंड की व्यवस्था
- फसल बीमा के लिए उपाय
- गावं की गंदी नाली की सफाई
अतः इन सभी चीजों से पता चलता है की चाचा जी ने पैसा का सही से उपयोग भी नहीं किया , अन्यथा गावं मे पुलिस नहीं आती छापे के लिए जो पैसा चंदन के घर मे मिला वो नहीं मिलता । इस घटना से गावं वालों के सामने इनसभी की छवि खराब हो जाती है ।
1. प्रह्लाद चाचा अपने बेटे की शहादत के बाद मिली मुआवज़े की राशि को समाज के हित में लगाना चाहते थे – यह भावना पूरी तरह वैध और सराहनीय थी। परंतु किसी कारणवश समय पर नहीं हो पाया ।
2. एक जनप्रतिनिधि (या जागरूक नागरिक) अपने निजी पैसे से जनकल्याण कर सकता है, बशर्ते वह पारदर्शिता और नीयत की शुद्धता बनाए रखे।
3. अगर यह पैसा गाँव की ज़रूरतों जैसे नाली, स्कूल, या फसल भंडारण में लगाया जाता, तो चाचा जी की छवि और पंचायत दोनों को मजबूत कर सकता था।
ये चीजे इस लिए बताई गई क्यूँ की इनके चुनाव हारने बहुत से लोगों का दिल दुखा है ।
अंत मे हमे यह भी समझ आता है की उनके पास भी कुछ पैसे होने चाहिए थे जिससे की वो अपने जीवन व्यापन मे उपयाग कर सकते थे , कुछ पैसे अपने भविष्य के लिए निवेश कर सकते थे जिससे की उन्हे आपातकाल की स्तिथि मे काम आता ।
जैसे की –
(a). SIP/MUTUAL FUND
(b). LIFE INSURANCE
(c). GOLD
किसी भी आम आदमी के लिए SIP, लाइफ इंश्योरेंस और गोल्ड में निवेश बहुत माइने रखता है –
SIP/म्यूचुअल फंड: एक आम आदमी के लिए SIP जरूरी है, क्योंकि यह छोटी रकम से शुरू होकर लंबे समय में बड़ा फंड बनाता है। 500 रुपये महीने से भी शुरू कर सकते हैं, जो भविष्य के लिए पूंजी बढ़ाता है।
लाइफ इंश्योरेंस: लाइफ इंश्योरेंस परिवार को वित्तीय सुरक्षा देता है और अनहोनी में मानसिक तनाव कम करता है। 50 लाख का टर्म इंश्योरेंस 10,000-15,000 रुपये सालाना में लिया जा सकता है।
गोल्ड में निवेश: गोल्ड की कीमत बढ़ती रहती है, जो मुद्रास्फीति से बचाता है और सुरक्षित निवेश है। एक आम आदमी गोल्ड ETF या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में 5000 रुपये से निवेश शुरू कर सकता है।
ये सभी चीजे इस लिए करनी चाहिए थी क्यूँकी अब इनके आगे पीछे कोई नहीं जो इन्हे संभाले तथा मुश्किल समय में उनकी देखभाल करने वाला अब कोई नहीं है । एक बेटा था परंतु वो भी रहा इसलिए एक आम आदमी को सबसे पहले SIP/म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए, क्योंकि यह किफायती, लंबे समय तक रिटर्न देने वाला, और भविष्य के लिए पूंजी बनाने का आसान तरीका है। इसके बाद लाइफ इंश्योरेंस लें, ताकि खुद को एवं अपने परिवार सुरक्षित रहे। गोल्ड में छोटा निवेश तीसरे नंबर पर करें, क्योंकि यह स्थिरता देता है।